हिंदू पंचांग के अनुसार हर माह की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में बहुत ही ज्यादा महत्व है। त्रयोदशी तिथि भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। शीघ्र ही प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाने वाले शिव शंकर की पूजा के लिए प्रदोष तिथि अत्यंत ही शुभ मानी गई है। इस दिन शिवजी के भक्त विधि-विधान से व्रत रखते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। पौराणिक मान्यता है कि विधि-विधान से प्रदोष व्रत करने वाले जातक से प्रसन्न होकर महादेव उस पर अपनी पूरी कृपा बरसाते हैं। त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष काल में माता पार्वती और भगवान भोलेशंकर की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष काल में की गई भगवान शिव की पूजा कई गुना ज्यादा फलदायी होती है। तो चलिए जानते हैं चैत्र माह का पहला प्रदोष व्रत कब है और महत्व के बारे में...

 
कब पड़ेगा प्रदोष व्रत हर महीने में दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं। हिंदी पंचांग के अनुसार, चैत्र माह का पहला प्रदोष व्रत 29 मार्च 2022, मंगलवार को पड़ने जा रहा है। ये मार्च महीने का आखिरी और चैत्र माह का पहला प्रदोष व्रत होगा।

 
भौम प्रदोष व्रत का महत्व मंगलवार के दिन पड़ने की वजह से ये प्रदोष व्रत भौम प्रदोष व्रत कहलाएगा। मान्यता है कि भौम प्रदोष व्रत को विधि-विधान से करने पर व्यक्ति के जीवन से जुड़े सभी कर्ज दूर होते हैं और शिव की कृपा से उसकी आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

 
जिस प्रकार सोमवार को प्रदोष व्रत पड़ता है, तो सोम प्रदोष कहलाता है। ठीक उसी प्रकार मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष कहा जाता है। यानी अलग-अलग वार को पड़ने की वजह से प्रदोष व्रत का नामकरण भी अलग-अलग किया जाता है।

 
प्रदोष व्रत की पूजा विधि प्रदोष व्रत वाले दिन प्रात: काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करें और उसके बाद पावन प्रदोष व्रत का संकल्प लें। इसके बाद शिवजी की पूजा करें। वहीं दिन में भगवान शिव का मनन एवं कीर्तन करते हुए शाम के समय एक बार फिर स्नान करें और सूर्यास्त के समय प्रदोषकाल में भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करें।