भोपाल । बिजली की हर सीजन में अलग-अलग तरह के उपभोक्ताओं की मांग के अनुसार खपत होती है। गर्मी में एसी, कूलर तो ठंड में सिंचाई के लिए बिजली के रिकॉर्ड खपत होती है। लगातार बारिश से मौसम में ठंडक घुल चुकी है और प्रदेश में गर्मी के मुकाबले 6000 मेगावाट बिजली की मांग में कमी दर्ज की है। मध्यप्रदेश में सर्वाधिक बिजली की खपत दिसंबर और जनवरी महीने के दौरान रहती है। इस दौरान प्रदेश में 15500 मेगावाट तक बिजली का उपयोग किया जाता है। सिंचाई में बिजली की मांग बढऩे से प्रदेश में बिजली खपत का उच्चतम स्तर इन्हीं 2 महीनों के दौरान रहता है। इसके बाद मई और जून में बेतहाशा गर्मी होने के कारण बिजली की शहरी क्षेत्रों में खपत बढ़ जाती है। गर्मी से राहत पाने के लिए लोग इलेक्ट्रिक उपकरणों का उपयोग करते हैं। इस दौरान बिजली की प्रदेश में उच्चतम स्तर पर खपत 14000 मेगावाट के करीब रहती है। बारिश के समय में बिजली की खपत न्यूनतम स्तर पर आंकी गई है। इस बार लगातार बारिश से तापमान दिन में 27 तो रात के समय 22 डिग्री चल रहा है, जिसके चलते  एसी, कूलर का उपयोग तकरीबन बंद हो गया है। इसके कारण प्रदेश में बिजली की खपत 8000 मेगावाट के करीब रह गई है। इंदौर बिजली कंपनी की बात करें तो यहां पर बिजली की खपत 2900 मेगावाट के करीब बताई जा रही है।

8000 मेगावाट की खपत घटी
मानसून में हो रही बारिश के कारण प्रदेश की तीनों बिजली कंपनियों की 8000 मेगावाट की खपत घटी है। इंदौर बिजली कंपनी में 2900 मेगावाट बिजली की खपत हो रही है। वहीं भोपाल बिजली कंपनी में 2800 मेगावाट, जबलपुर बिजली कंपनी में 2400 मेगावाट बिजली की खपत हो रही है।