ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले प्रत्येक मंगलवार को बड़ा मंगल या बुढ़वा मंगल कहा जाता है। ऐसे में हनुमत भक्त अंजनी पुत्र हनुमान की कृपा पाने के लिए पूजा अर्चना करेंगे। देश के कई स्थानों पर भंडारे का आयोजन किया जाएगा। इस दिन विधि विधान से पूजा करने से महाबली हनुमान की कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में भगवान हनुमान की कृपा पाने के लिए आखिरी बड़ा मंगल उनकी आराधना जरूर करें। साथ ही पूजा के दौरान हनुमान जी आरती जरूर पढ़ें। आइए जानते हैं हनुमान जी की पूजा विधि और आरती...

हनुमान जी की पूजा विधि

    बड़ा मंगल के आखिरी दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद पूजा स्थल पर हनुमान जी की मूर्ति मूर्ति या प्रतिमा रखें।
    इसके बाद भगवान हनुमान को पहले एक बार गंगाजल से स्नान कराएं, फिर पंचामृत से स्नान कराएं। अंत में साफ पानी से स्नान कराएं।
    इसके बाद हनुमान जी की प्रतिमा के आगे घी का दीपक जलाएं और वस्त्र अर्पित करें। हनुमान जी को पान जरूर चढ़ाएं।
    इसके बाद अंत में कपूर जलाकर हनुमान जी की आरती करें।

श्री हनुमानजी आरती
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥

जाके बल से गिरिवर कांपे।
रोग दोष जाके निकट न झांके॥

अंजनि पुत्र महा बलदाई।
सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥

दे बीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारि सिया सुधि लाए॥

लंका सो कोट समुद्र-सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई॥

लंका जारि असुर संहारे।
सियारामजी के काज सवारे॥

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।
आनि संजीवन प्राण उबारे॥

पैठि पाताल तोरि जम-कारे।
अहिरावण की भुजा उखारे॥

बाएं भुजा असुरदल मारे।
दाहिने भुजा संतजन तारे॥

सुर नर मुनि आरती उतारें।
जय जय जय हनुमान उचारें॥

कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई॥

जो हनुमानजी की आरती गावे।
बसि बैकुण्ठ परम पद पावे॥