नई दिल्ली । दिल्ली के कालकाजी मंदिर के पुनर्विकास कार्य शुरू होने का रास्ता साफ हो गया। उच्च न्यायालय ने बुधवार को मंदिर परिसर में बने धर्मशालाओं में रह रहे पुजारियों/बारीदारों को छह जून तक जगह खाली करने का आदेश दिया है। बीते सप्ताह न्यायालय ने कहा था कि तब तक पुनर्विकास कार्य शुरू नहीं किया जा सकता है, जब तक मंदिर परिसर के धर्माशालाओं में रह रहे लोगों से इसे खाली नहीं करा लिया जाता है। जस्टिस सिंह ने अपने आदेश में कहा था कि चूंकि मंदिर परिसर में धर्मशालाओं में रहने वाले पुजारी या बारीदार हैं और वे भी वे मंदिर परिसर के पुनर्विकास का समर्थन करते हैं, इसलिए समुचित निर्देश जारी करना उचित होगा। न्यायालय ने इसके साथ ही धर्मशालाओं में रह रहे पुजारी/बारीदारों को जगह खाली करने के लिए समय-सीमा बताने के लिए एक जून 2022 तक समय दिया था। पुजारियों की ओर से अधिवक्ता आर.के. भारद्वाज ने बताया कि उन्होंने न्यायालय के समक्ष स्पष्ट कर दिया कि मंदिर का पुनर्विकास होना चाहिए। अधिवक्ता भारद्वाज ने कहा कि इसके लिए पुजारियों ने धर्मशालाओं को खाली करने के बारे में सहमति दे दी है। उच्च न्यायालय ने मंदिर के बारीदारों की ओर से दाखिल कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मंदिर के पुनर्विकास और रोजमर्रा का कामकाज देखने के लिए प्रशासक नियुक्त किया है। इससे पहले, न्यायालय के आदेश पर मंदिर परिसर में अवैध रूप से बनाए गए 150 से अधिक झुग्गियों व अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया था। मंदिर के पुनर्विकास कार्य की कार्ययोजना को अंतिम रूप देने के लिए 4 जून को उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासक जस्टिस जे.आर. मिधा और पुजारियों के बीच बैठक होगी। न्यायालय ने पिछली सुनवाई पर पुजारी/बारीदारों को 15 दिन के भीतर अपना सुझाव प्रशासक को देने का निर्देश दिया था। सभी पुजारी/बारीदारों को 4 जून को 5 बजे मंदिर प्रशासक जस्टिस जे.आर. मिधा के समक्ष पेश होने को कहा था। साथ ही जस्टिस मिधा को पुजारियों के सुझाव पर विचार करने और पुनर्विकास कार्ययोजना को अंतिम रूप देकर पेश करने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने प्रशासक को 4 जुलाई तक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।