भोपाल   भोपाल के एक सरकारी अस्पताल में बड़ी लापरवाही सामने आई है। भोपाल के जेपी अस्पताल की लिफ्ट में दो बच्चे करीब आधे घंटे तक फंसे रहें। जब लोगों को लिफ्ट के भीतर से बच्चों के रोने और चिल्लाने की आवाज आई। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन को सूचना दी गई। और फिर टेक्नीशियन को बुलाकर बच्चों को बाहर निकाला गया। इस घटना के बाद अस्पताल अधीक्षक ने जांच के आदेश देते हुए दोषियों पर कार्रवाई की बात कही है। जानकारी के अनुसार सोमवार शाम दो बच्चे अस्पताल परिसर में खेलते हुए लिफ्ट में चले गए। और कुछ बटन दबते ही लिफ्ट बंद हो गई। जिसके बाद लिफ्ट का दरवाजा नहीं खुलने पर बच्चें चिल्लाने लगे। बच्चों को बाहर खड़े लोगों ने निकालने का प्रयास किया लेकिन असफल रहें। वहीं इसे लेकर लोगों का कहना है कि उस समय वहां कोई लिफ्टमैन नहीं था। जिसके बाद इस घटना की सूचना अस्पताल प्रबंधन तक पहुंचाई गई। आधे घंटे तक बच्चे भीतर फंसे रहे , और बादमे लिफ्टमैन नजर आया। इस मामले की जानकारी मिलने के बाद पूर्व विधायक पीसी शर्मा भी अस्पताल पहुंचे। जानकारी के अनुसार जेपी अस्पताल की लिफ्ट बीते कई महीनों से ठप पड़ी हैं। अस्पताल प्रबंधन की माने तो पीडब्ल्यूडी ने लिफ्ट मैंटेनेंस का टेंडर नहीं किया है। और पीडब्ल्यूडी के अफसरों ने इसे लेकर कहा कि पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव की आचार संहिता के कारण टेंडर नहीं हो पाया। यहीं वजह है कि प्रसूताओं और गंभीर मरीजों को सीढ़ियों के सहारे ऊपरी मंजिल तक जाना पड़ रहा है। बता दें कि इस घटना बाद भी अस्पताल प्रबंधन को यह नही पता चला कि वो बच्चें कौन थे। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि बच्चे बाहर कहीं खेलते हुए आए होंगे और लिफ्ट का दरवाजा खुलते ही वे भाग गए। फिलहाल अस्पताल अधीक्षक डॉ. राकेश श्रीवास्तव ने मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। दरअसल जेपी अस्पताल अपनी लापरवाही के चलते हमेशा सुर्खियों में रहता है। हाल ही में अस्पताल के टायलेट में एक युवती का शव मिला था। मृतका एक दिन पहले ही पेट में गांठ का इलाज कराने अस्पताल में भर्ती हुई थी। लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने हार्ट अटैक से मौत होने की आशंका व्यक्त की थी। कई घंटों तक शव शौचालय में पड़ा रहा लेकिन किसी भी अस्पताल के कर्मचारी ने उस तरफ ध्यान नहीं दिया था। और जब रिश्तेदार ने शौचालय में देखा तो वह मृत मिली।