भोपाल ।  प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में पूरक पोषण आहार वितरण व्यवस्था में गड़बड़ी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। ऐसे में उन्हीं स्व-सहायता समूहों को फिर से ठेका देने की तैयारी है, जिनके खिलाफ शिकायतें हुई हैं या जो गड़बड़ी में लिप्त पाए गए हैं। कलेक्टर ऐसे मामलों की सुनवाई करेंगे और ठेका देने का फैसला ले सकेंगे। महिला एवं बाल विकास विभाग ने कलेक्टरों को यह स्वतंत्रता देते हुए निर्देश जारी कर दिए हैं। यह व्यवस्था जुलाई से लागू की जा रही है। ग्रामीण क्षेत्रों के आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए आजीविका मिशन के तहत संचालित स्व-सहायता समूह पोषण आहार तैयार कर रहे हैं। यही व्यवस्था शहरी क्षेत्र में लागू की गई है पर शहरों में अब भी ठेकेदार ही व्यवस्था संभाले हुए हैं। विभाग के आला अधिकारियों तक यह मामला पहुंच चुका है। गड़बड़ी की कई शिकायतें भी हैं। ऐसे में गड़बड़ी करने वाले समूहों को एक और मौका देने की तैयारी है। विभाग ने अपने निर्देश में साफ कहा है कि पोषण आहार उपलब्ध कराए जाने की निरंतरता और अनियमितता संबंधी शिकायतों की स्थिति में कलेक्टर संबंधित का पक्ष सुनेंगे और स्वीकृति देंगे। उल्लेखनीय है कि शहरी क्षेत्रों में पोषण आहार का काम कर रहे स्व-सहायता समूहों की अनुबंध अवधि 30 जून को समाप्त हो रही है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए नए सिरे से अनुबंध किया जाना है। ऐसे में यह निर्देश दिए गए हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग का तर्क है कि पांच मई 2021 नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने समूहों से पोषण आहार लेने का अनुबंध किया था। उसमें अच्छा काम करने वाले समूहों की अनुबंध अवधि बढ़ाने का उल्लेख नहीं है। इसलिए अब नया प्रस्ताव जाएगा। जिसके तहत समूहों का चयन होगा।