इटारसी ।  भारतीय सेना जिंदाबाद, वंदे मातरम और भारत माता की जय... इन गगनभेदी नारों के साथ भारतीय सेना की 102 वीसी आर्मी इंजीनियरिंग सुदर्शन च्रक कोर के अफसरों ने 03 दिनों की दिन-रात की मेहनत से तैयार मप्र के पहले बैली ब्रिज को लोकार्पित किया। बुधवार को सुखतवा नदी पर आयोजित समारोह में बाघा बार्डर जैसा उत्साह नजर आया। आर्मी जवानों की कड़ी मेहनत से तैयार हुए ब्रिज का लोकार्पण हुआ, तो युवा, बच्चे, बुर्जुग और नेता सभी लोग सैन्य अफसरों के स्वागत को टूट पड़े। कलेक्टर नीरज कुमार सिंह ने सैन्य अफसरों को स्मृति चिन्ह प्रदान किया। गणेश चतुर्थी के शुभ दिन जनरल सुमेर डी सुन्हा, लेफ्टीनेंट कर्नल एसएस मेहता, कर्नल निखिल श्रीवास्तव, बिग्रेडियर अमन कंसल, मेजर एसएस दाहिया, कलेक्टर नीरज कुमार सिंह, सिवनी मालवा विधायक प्रेमशंकर वर्मा, एसडीएम मदन सिंह रघुवंशी की मौजूदगी में फीता काटकर ब्रिज का लोकार्पण हुआ। ब्रिज शुभारंभ के बाद सबसे पहले जनरल सुमेर डी सुन्हा के साथ कलेक्टर नीरज कुमार सिंह, विधायक प्रेमशंकर वर्मा को आर्मी जिप्सी में बैठाकर पुल पार कराया गया। 80 जवानों की इस बटालियन का स्वागत करने नागरिकों ने पुष्पवर्षा की, वहीं जिला हाकी संघ के खिलाडि़यों ने हाकी की सलामी देकर भारतीय सेना की इस जाबांजी और बुलंद हौसले के बल पर तैयार पुल की बधाई दी। संघ अध्यक्ष प्रशांत जैन और सचिव कन्हैया गुरयानी के साथ हाकी खिलाडि़यों ने सारे अफसरों को हाकी भेंट कर सेना के इन प्रयासों की सराहना की। कर्नल मेहता ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग 46 पर तैयार यह प्रदेश का पहला बैली ब्रिज है, इसके निर्माण में जिला प्रशासन और एनएचएआइ अफसरों के साथ राज्य सरकार का भरपूर सहयोग मिला, इस पुल से अब राजमार्ग पर निरंतर यातायात बहाली होगी, किसी भी हालत में रास्ता बंद होने की नौबत नहीं आएगी, उन्होंने कहा कि यह एक अस्थाई पुल है।

यह है बटालियन का नारा

भारतीय सेना की 102 आर्मी इंजीनियरिंग कोर का ध्येय वाक्य है..सदैव प्रथम....साहस हौसला और जुनून..इस ध्येय के बल पर ही यह बटालियन सेना को जरूरत पड़ने पर सीमावर्ती पहाड़ी-दुर्गम एवं पहुंचविहीन क्षेत्रों में रास्ता तैयार कर देती है। हाइवे पर मप्र का पहला बैली ब्रिज सुखतवा नदी पर बनाया गया है। ब्रिज निर्माण के लिए पुराने ब्रिज के दो पुराने पिलर की मरम्मत कर नट-बोल्ट एवं हरे रंग की आर्मी सप्लाई जालियों से ब्रिज का ढांचा खड़ा किया गया, वाहनों की आवाजाही के लिए नीचे लोहे की मजबूत चादरें कसी गई हैं। खास बात यह कि बाढ़ की वजह से पिछले एक माह में करीब 13 बार बंद हो चुके हाइवे पर यातायात बहाली के लिए महज 3 दिनों की मेहनत से सेना ने पुल खड़ा कर दिया। सुखतवा नदी में तवा बांध का बेकवाटर लगातार आने से एनएचएआइ के अस्थाई पुल पर अभी भी करीब दो फीट पानी जमा हुआ है, जान जोखिम में डालकर वाहनों को धीमी रफ्तार से निकाला जा रहा है। बैली ब्रिज बनने से आवागमन का संकट नहीं होगा। हाइवे की रफ्तार थमने से सरकार और ट्रांसपोर्टस को करोड़ों रुपये का घाटा हो रहा था।