श्योपुर। कूनों में लगातार दूसरे चीते की भी मौत हो गई। इससे सवाल उठ रहे हैं ‎कि कहीं बाड़े में लंबे समय तक इन्हें रखना तो भारी नहीं पड़ रहा। जानकारी के अनुसार मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क में एक महीने के अंदर दो चीतों की मौत हो गई है। रविवार शाम को उदय नाम के नर चीते की मौत हो गई। उसकी मौत की वजह का पता नहीं चल पाया है। इसके पहले साशा नामक मादा चीता के किडनी की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। इन दो मौतों से देश में प्रोजेक्ट चीता पर सवाल उठने लगे हैं। जानकारी के अनुसार करीब छह साल के उदय को इस साल 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था। दक्षिण अफ्रीका से उसे कूनो लेकर आने वाले चीता मेटा पॉपुलेशन प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों के मुताबिक उदय का स्वास्थ्य अच्छा था। वहीं, वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट्स का कहना है कि लगातार लंबे समय तक बाड़े में रखने से चीतों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है और वे बीमार हो रहे हैं। 
हालां‎कि रविवार सुबह को विशेषज्ञों की एक टीम चीतों को देखने के लिए कूनो गई थी। उनकी नजर उदय पर पड़ी तो उसकी हालत देखकर वे घबरा गए। उदय सिर नीचे किए अपने बाड़े में बैठा था। वह बेहद थका हुआ दिख रहा था। विशेषज्ञों की टीम उसके करीब पहुंची तो वह उठकर चलने लगा, लेकिन वह ठीक से चल नहीं पा रहा था। उसकी गर्दन नीचे की ओर झुकी हुई थी। टीम ने तत्काल वेटिनरी डॉक्टर्स की टीम को इस बारे में बताया जो नियमित उदय पर नजर रख रहे थे। डॉक्टर्स ने उसकी जांच की तो पता चला कि उदय को तत्काल इलाज की जरूरत है। इसके बाद चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट को इसकी सूचना दी गई। 11 बजे उदय को क्वारंटीन कर दिया गया। इसके बाद उसे बेहोश कर इलाज शुरू किया गया। 
तमाम कोशिशों के बावजूद उसकी हालत लगातार बिगड़ती गई और शाम के करीब चार बजे उसने दम तोड़ दिया। अचानक उसकी हालत ऐसी क्यों हो गई, यह अब भी रहस्य बना हुआ है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से इसका पता चलने की उम्मीद है। करीब एक महीने पहले मादा चीता साशा की मौत हो गई थी। उसे किडनी की बीमारी थी। बाद में बताया गया कि उसे ये समस्या पहले से थी। चीता मेटापॉपुलेशन के मैनेजर विन्सेंट वॉन डर मर्व का कहना है कि चीते खुले में रहना पसंद करते हैं। उन्हें लंबे समय तक बाड़े में रखने से उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। यही वजह रही ‎कि चीते बीमार हो रहे हैं।