नई दिल्ली । अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को सहयोग करने के लिए भारत को बिना बताए एफ-16 विमानों के लिए दिए गए 45 करोड़ डॉलर के ‘सस्टेनमेंट पैकेज’ दे दिया जिसको लेकर अमेरिका को कड़े विरोध का सामना करना पड़ा है। यह विरोध अमेरिका के असिस्टेंट सेक्रेट्री ऑफ स्टेट फॉर साउथ एंड सेंट्रल एशियन अफेयर्स डोनाल्ड लू से जताया गया है। इस विरोध में इस फैसले की टाइमिंग पर भी विरोध जताया गया है। भारत सरकार का मानना है कि इस फैसले का तेजी से बढ़ते आपसी संबंधों पर कोई असर नहीं होगा। बस इससे दोनों देशों के संबंधों में थोड़ी असहजता आएगी। क्योंकि अमेरिका ने इस फैसले के बारे में भारत को पहले नहीं बताया। जिसका भारत की सुरक्षा पर गंभीर असर होता है।
एक खबर के मुताबिक पाकिस्तान के लिए इस मदद को डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने 2018 में रोक दिया था। जबकि अब जो बाइडेन प्रशासन ने उस फैसले को बदल दिया है। यह घोषणा ऐसे समय में की गई जब भारत अमेरिकी अधिकारियों की मेजबानी कर रहा था। जिसमें लू खुद शामिल थे। अमेरिका ने जब इसकी घोषणा की तो यूएस-इंडिया टू प्लस टू की इंटरनेशनल मीटिंग और मेरीटाइम सिक्योरिटी डायलाग चल रहा था। इस मुद्दे को भारत ने बहुत कठोरता से लू के साथ उठाया है। उम्मीद की है कि अमेरिका भारत की सुरक्षा को ध्यान में रखेगा।
जबकि अमेरिका ने कहा है कि नए मेंटेनेंस पैकेज में नई क्षमताएं, हथियार या कोई गोला बारूद शामिल नहीं होगा। भारत और अमेरिका का टू प्लस टू डायलॉग 7 सितंबर को हुआ था। जब यह बैठक चल रही थी तभी अमेरिका ने कांग्रेस के एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिसमें पाकिस्तान के एफ-16 विमानों को मरम्मत पैकेज देना शामिल था। अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद विरोधी गतिविधियों में एक बड़ा सहयोगी है। पहले से चली आ रही नीति के हिसाब से अमेरिका बेचे गए हथियारों की मरम्मत के लिए काम करेगा।
भारत का मानना है कि पाकिस्तान के एफ-16 बेड़े का लक्ष्य भारत है। भले ही इसमें से कुछ विमान संचालन में नहीं हैं। भारत को इस बात पर भी आश्चर्य है कि चीन के साथ अपने रक्षा संबंधों में कोई कटौती किए बगैर पाकिस्तान को इस तरह का अमेरिकी समर्थन कैसे मिल रहा है! ये अटकलें भी हैं कि अलकायदा के सरगना अयमान अल जवाहिरी को मारने के लिए पाकिस्तान के हवाई इलाके के उपयोग की मंजूरी देने के कारण ही पाकिस्तान को यह पैकेज मिला है। जबकि पाकिस्तान ने तालिबान के इस आरोप से हमेशा इनकार किया है।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने 2018 में पाकिस्तान को किसी भी तरह की मिलिट्री सहायता देने पर रोक लगा दी थी। जबकि जो बाइडन के प्रशासन ने उस फैसले को उलट दिया है। रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से भारत के रुख को लेकर अमेरिका से कुछ मतभेद भी पैदा हुए हैं। भारत ने रूस से ऊर्जा का आयात बढ़ा दिया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने अभी हाल में कहा था रूस के साथ ऊर्जा सहयोग के लिए बहुत जबरदस्त संभावनाएं हैं।