काले कपड़े पहने, माथे पर तिलक लगाए और गले में माला पहने अजय देवगन की फोटो वायरल होते ही फैन्स ने सोचा कि ये उनकी अगली फिल्म का लुक है, लेकिन यह अजय का अयप्पा स्वामी के दर्शन के लिए लिया गया व्रत था। अजय देवगन ने पहले 41 दिन का उपवास किया। इसके बाद वे बुधवार को केरल के सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा से आशीर्वाद लेने पहुंचे। सबरीमाला में भगवान अयप्पा के दर्शन की इच्छा रखने वालों को पहले 41 दिनों तक कठिन अनुष्ठान करना पड़ता है। इसे 'मंडलम' कहा जाता है।
दर्शन से पहले कठिन नियमों का पालन करना होता है। अजय ने पूजा-अर्चना के बाद तुलसी की माला भी पहनी है। आने वाले कई दिन तक अजय ब्लैक आउटफिट में ही नजर आएंगे। पूजा के बाद अजय देवगन सीधे काम पर लौट आए। उन्हें डबिंग स्टूडियो के बाहर स्पॉट किया गया, जहां वे उसी लुक में थे, जिसमें उन्होंने पूजा की थी। अजय ने पैरों में जूते-चप्पल भी नहीं पहने थे।

मंदिर में दर्शन करने के कठिन नियम हैं- सबरीमाला आने से पहले 41 दिन तक समस्त लौकिक बंधन छोड़कर ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी है। इन दिनों में उन्हें नीले या काले कपड़े ही पहनने पड़ते हैं। गले में तुलसी की माला रखनी होती है और पूरे दिन में केवल एक बार ही साधारण खाना खाना पड़ता है।शाम को पूजा करनी होती है और जमीन पर ही सोना पड़ता है। इस व्रत की पूणार्हूति पर एक गुरु स्वामी के निर्देशन में पूजा करनी होती है। मंदिर यात्रा के दौरान उन्हें सिर पर इरुमुडी रखनी होती है यानी दो थैलियां और एक थैला। एक में घी से भरा हुआ नारियल व पूजा सामग्री होती है तथा दूसरे में भोजन सामग्री। ये लेकर उन्हें शबरी पीठ की परिक्रमा भी करनी होती है, तब जाकर 18 सीढ़ियों से होकर मंदिर में प्रवेश मिलता है।

सबरीमाला मंदिर में दर्शन की प्रक्रिया

  • सबरीमाला मंदिर श्रद्धालुओं के लिए साल में सिर्फ नवंबर से जनवरी तक खुलता है। बाकी महीने इसे बंद रखा जाता है। अभी इसे 29 दिसंबर को खोला गया, यह 14 जनवरी तक खुला रहेगा।
  • व्रत करने वाले को पहले पंपा त्रिवेणी में स्नान और दीपक जलाकर नदी में प्रवाहित करने के बाद ही सबरीमाला मंदिर जाना पड़ता है। पंपा त्रिवेणी पर भगवान श्रीगणेश की पूजा के बाद ही भक्त चढ़ाई शुरू करते हैं।
  • पहला पड़ाव शबरी पीठम नाम की जगह है। मान्यता है कि यहां पर रामायण काल में शबरी नामक भीलनी ने तपस्या की थी। श्री अय्यप्पा के अवतार के बाद ही शबरी को मुक्ति मिली थी।
  • इसके आगे शरणमकुट्टी नाम की जगह आती है। पहली बार आने वाले भक्त यहां पर शर (बाण) गाड़ते हैं। मंदिर में जाने के लिए दो रास्ते हैं। एक सामान्य रास्ता और दूसरा 18 पवित्र सीढ़ियों से होकर। जो लोग मंदिर आने के पहले 41 दिनों तक कठिन व्रत करते हैं वो ही इन पवित्र सीढ़ियों से होकर मंदिर में जा सकते हैं।
  • 18 पवित्र सीढ़ियों के पास भक्तजन घी से भरा हुआ नारियल फोड़ते हैं। इसके पास ही एक हवन कुण्ड है। घृताभिषेक के लिए जो नारियल लाया जाता है, उसका एक टुकड़ा इस हवन कुण्ड में भी डाला जाता है और एक अंश भगवान के प्रसाद के रूप में लोग अपने घर ले जाते हैं।
  • सबरीमाला मंदिर में भगवान की पूजा का एक प्रसिद्ध अंश घी का अभिषेक करना है। श्रद्धालुओं द्वारा लाए गए घी को सबसे पहले एक खास बर्तन में इकट्ठा किया जाता है, फिर उस घी से भगवान का अभिषेक किया जाता है।