यूं तो हिंदू धर्म में कई देवी-देवता है परंतु बात अगर देवों के देव महादेव की हो तो दुनिया में इनके अनगिनत संख्या में भक्त पाए जाते हैं। तो वहीं देश के लगभग हर कोने में इनसे जुड़े धार्मिक स्थल मौजूद है। न केवल देश में बल्कि विदेशों में कई ऐसे मंदिर आदि हैं, जहां शिव शंकर भिन्न-भिन्न प्रकार के रूप में विराजते हैं। बताया जाता है कि इनके प्रत्येक मंदिर में इनकी अलग-अलग व भव्य प्रकार से पूजा अर्चना की जाती है। परंतु इन तमाम मंदिरों आदि में एक चीज़ सामान्य है कि शिव जी को किसी भी मंदिर आदि में हल्दी किसी भी रूप में अर्पित नहीं की जाती है। जी हां, आप उपरोक्त जानकारी पढ़ने के बाद सोच रह होंगे कि हम आपको यकीनन इनके किसी मंदिर आदि के बारे में बताने जा रहे हैं। परंतु नहीं, आज हम आपको इनके किसी मंदिर के बारे में नहीं बल्कि इनके मंदिर में इनके लिंग व प्रतिमा स्वरूप पर हल्दी क्यों नहीं चढ़ाई जाती। इससे जुड़ी जानकारी बताने जा रहे हैं।
 
अक्सर धार्मिक ग्रंथों में पढ़ने को मिलता है कि शिव शंकर अधिक भोले हैं, जिस कारण ये अपने भक्तों पर अधिक जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। परंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि अगर भोलेनाथ रुष्ट हो जाएं तो इन्हें मनाना भी बेहद मुश्किल होता है। जी हां, कहा जाता है शिव जी पर हल्दी चढ़ाने वाले भक्त पर भोलेनाथ अति शीघ्र क्रोधित हो जाते हैं। परंतु ऐसा क्यों? आखिर क्यों शिव जी को हल्दी प्रिय नहीं है? इस बारे से आज भी बहुत से लोग अंजान है। तो चलिए आपको बताते है कि क्या इससे जुड़ा पौराणिक कारण।

बताते चलें शास्त्रों में शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक है और हल्दी स्त्रियोचित वस्तु है। स्त्रियोचित यानी स्त्रियों संबंधित। माना जात है कि इसी वजह से शिवलिंग पर हल्दी नहीं चढ़ाई जाती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भगवान शिव के अलावा अन्य सभी देवी-देवताओं पर हल्दी अर्पित की जा सकती है।

ये भी कहा जाता है कि जलाधारी पर हल्दी चढ़ाई जा सकती है शिवलिंग दो भागों से मिलकर बना होता है। एक भाग शिवलिंग शिवजी का प्रतीक है और दूसरा भाग जलाधारी माता पार्वती का प्रतीक है। अतः इस पर हल्दी चढ़ाई जानी चाहिए।
 
एक पौराणिक कथा के अनुसार केतकी फूल ने ब्रह्मा जी के झूठ में साथ दिया था, जिससे नाराज होकर भोलनाथ ने केतकी के फूल को श्राप दिया। शिव जी ने कहा कि शिवलिंग पर कभी केतकी के फूल को अर्पित नहीं किया जाएगा। इसी श्राप के बाद से शिव को केतकी के फूल अर्पित किया जाना अशुभ माना जाता है।

इसके अलावा बता दें शिवलिंग पर तुलसी भी कभी अर्पित नहीं करनी चाहिए। एक कथा के मुताबिक भगवान शिव ने तुलसी के पति असुर जालंधर का वध किया था। इसलिए उन्होंने स्वयं भगवान शिव को अपने अलौकिक और दैवीय गुणों वाले पत्तों से वंचित कर दिया। शिवलिंग पर नारियल अर्पित किया जाता है लेकिन इससे अभिषेक नहीं करना चाहिए। देवताओं को चढ़ाया जाने वाले प्रसाद ग्रहण करना आवश्यक होता है। लेकिन शिवलिंग का अभिषेक जिन पदार्थों से होता है उन्हें ग्रहण नहीं किया जाता। इसलिए शिव पर नारियल का जल नहीं चढ़ाना चाहिए। इसके अतिरिक्त सिंदूर, विवाहित स्त्रियों का गहना माना गया है। स्त्रियां अपने पति की लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना के लिए अपनी मांग में सिंदूर लगाती हैं और भगवान को भी अर्पित करती हैं। परंतु धार्मिक ग्रंथों में शिव जी को विनाशक माना गया है। अतः इसीलिए सिंदूर से भगवान शिव की सेवा करना अशुभ माना जाता है।