कलेक्टर व सीएमएचओ सागर तीन सप्ताह में दें जवाब

सागर जिले के गौरझामर के शासकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं व डाॅक्टर्स का अभाव क्षेत्र के ग्रामीणों तथा स्थानीय नागरिकों को बेहद खल रहा है। उल्लेखनीय है कि यहां के सरकारी अस्पताल में तीन-तीन डाॅक्टर्स तैनात हैं, जो हमेशा यहां अनुपस्थित रहते हैं और जिन्हें वेतन गौरझामर हाॅस्पिटल से ही दिया जाता है। यह किसी को नहीं पता, कि यह डाॅक्टर्स अपनी नियमित सेवाएं कहां और किस अस्पताल में दे रहे हैं। मरीज गौरझामर के सरकारी अस्पताल में इलाज हेतु बड़ी उम्मीद व विश्वास के साथ पहुंचते हैं, लेकिन अस्पताल में डाॅक्टर्स को उपस्थित नहीं पाकर वह निराश व परेशान होकर बिना इलाज कराये ही घर वापस लौट आते हैं। उन्हें पता तो है कि अस्पताल में तीन-तीन एमबीबीएस डाॅक्टर्स पदस्थ हैं। कोई न कोई तो अस्पताल में उपस्थित मिलेगा, जो उनका भरोसेमंद इलाज करेगा, लेकिन अस्पताल में केवल नर्स व फार्मासिस्ट ही उपलब्ध मिलते हैं। ये अस्पताल एक किला बनकर रह गया है। डाॅक्टर्स की गैर-हाजिरी के दुष्परिणाम गौरझामर और इससे लगे क्षेत्र की गरीब आदिवासी, अन्य पिछड़ा व अनुसूचित जाति वर्ग की जनता को भोगना पड़ रहे हैं। उचित इलाज के अभाव में मौत को गले लगाना उनकी नियति बन गई है।
मामले में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी, सागर से तीन सप्ताह में जांच कराकर  (जांच-रिपोर्ट के साथ ही) प्रतिवेदन मांगा है।